भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"होने तक / मनोज श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> ''' ''')
 
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
''' '''
+
'''होने तक'''
 +
 
 +
कई नाचीज़ बातों के होने तक
 +
यह अविलंबनीय बात रुकी रह सकती है,
 +
कई माँओं के प्रसव-पीड़ा होने तक
 +
यह मरणासन्न बच्चा गर्भ में जीवित रह सकता है,
 +
कई युगों के गुज़रने तक
 +
यह बेचैन क्षण किसी सुखद होनी पर टला रह सकता है,
 +
डाक्टरों के हड़ताल से लौटने तक
 +
यह अधमरा रोगी अपनी सांसें थामे रह सकता है,
 +
कई चेहरों पर से मुखौटा हटने तक
 +
यह चेहरा असली बना रह सकता है,
 +
कई लाशों के चितासीन होने तक
 +
यह लाश अपनी बारी की प्रतीक्षा कर सकता है,
 +
कई फ़िज़ूल किताबों के प्रकाशित होने तक
 +
यह उम्दा लेखक अपनी पांडुलिपियाँ दीमक से बचाए रह सकता है,
 +
कई रातों के ढलने तक
 +
चाँद एक भयानक रात के खौफ से बचा रह सकता है.

14:03, 16 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण

होने तक

कई नाचीज़ बातों के होने तक
यह अविलंबनीय बात रुकी रह सकती है,
कई माँओं के प्रसव-पीड़ा होने तक
यह मरणासन्न बच्चा गर्भ में जीवित रह सकता है,
कई युगों के गुज़रने तक
यह बेचैन क्षण किसी सुखद होनी पर टला रह सकता है,
डाक्टरों के हड़ताल से लौटने तक
यह अधमरा रोगी अपनी सांसें थामे रह सकता है,
कई चेहरों पर से मुखौटा हटने तक
यह चेहरा असली बना रह सकता है,
कई लाशों के चितासीन होने तक
यह लाश अपनी बारी की प्रतीक्षा कर सकता है,
कई फ़िज़ूल किताबों के प्रकाशित होने तक
यह उम्दा लेखक अपनी पांडुलिपियाँ दीमक से बचाए रह सकता है,
कई रातों के ढलने तक
चाँद एक भयानक रात के खौफ से बचा रह सकता है.