भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"होरी खेलन आयो स्याम / ब्रजभाषा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
{{KKGlobal}}
 +
{{KKLokRachna
 +
|रचनाकार=अज्ञात
 +
}}
 +
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
 +
|भाषा=ब्रजभाषा
 +
}}
 +
{{KKCatBrajBhashaRachna}}
 
{{KKAnthologyHoli}}
 
{{KKAnthologyHoli}}
 +
<poem>
 
होरी खेलन आयो श्याम, आज याए रंग में बोरो री
 
होरी खेलन आयो श्याम, आज याए रंग में बोरो री
 
 
आज याए रंग में बोरो री, आज याए रंग में बोरो री
 
आज याए रंग में बोरो री, आज याए रंग में बोरो री
 
+
याकी हरे बाँस की बाँसुरिया, याए तोरि मरोरो री...
याकी हरे बाँस की बाँसुरिया, याए तोरि मरोरो री ...........
+
  
 
होरी खेलन आयो श्याम...
 
होरी खेलन आयो श्याम...
 +
</poem>

03:24, 27 नवम्बर 2015 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

होरी खेलन आयो श्याम, आज याए रंग में बोरो री
आज याए रंग में बोरो री, आज याए रंग में बोरो री
याकी हरे बाँस की बाँसुरिया, याए तोरि मरोरो री...

होरी खेलन आयो श्याम...