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"होली की बहार / नज़ीर अकबराबादी" के अवतरणों में अंतर

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हिन्द के गुलशन में जब आती है होली की बहार।
 
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जांफिशानी चाही कर जाती है होली की बहार।।
 
जांफिशानी चाही कर जाती है होली की बहार।।

18:49, 15 मार्च 2011 के समय का अवतरण

शीर्षक


हिन्द के गुलशन में जब आती है होली की बहार।
जांफिशानी चाही कर जाती है होली की बहार।।

एक तरफ से रंग पड़ता, इक तरफ उड़ता गुलाल।
जिन्दगी की लज्जतें लाती हैं, होली की बहार।।

जाफरानी सजके चीरा आ मेरे शाकी शिताब।
मुझको तुम बिन यार तरसाती है होली की बहार।।

तू बगल में हो जो प्यारे, रंग में भीगा हुआ।
तब तो मुझको यार खुश आती है होली की बहार।।

और हो जो दूर या कुछ खफा हो हमसे मियां।
तो काफिर हो जिसे भाती है होली की बहार।।

नौ बहारों से तू होली खेलले इस दम नजीर।
फिर बरस दिन के उपर है होली की बहार।।