भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

होली खेलू आज किसन / बुन्देली

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:26, 20 मार्च 2016 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

होली खेलूं आज किसन,
प्यारे होली खेलूं।
आवत महल तुम्हें गह लूंगी
सगले सखन से कर न्यारे। होली...
लेहों काड़ कसर पिया सगरी
बन प्रमोद तुमने रंग डारे। होली...
देखों लाल आज तुम कैसे
रसिया अजब बने बारे। होली...
राधा दुलारी जान नें पावें
रसिया अजब बने न्यारे।