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होली / राजकिशोर सिंह

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होली आई मन बौराया
सबकी गजब कहानी
छौड़ा को मत पूछो
बूढ़े करें मनमानी
सबकी गजब कहानी
राह चलत तन डोले
मन में आयी जवानी
बुढ़िया घर में दम पेले
बुढ़वा करे मनमानी
सबकी गजब कहानी
लड़का देऽे लड़की को
बिगड़ी उसकी वाणी
भूले बिसरे लोक लाज को
ऽुल कर करे राहजानी
सबकी गजब कहानी
बिन आंँचल की दुल्हन देऽो
बनती है महरानी

नाक पकड़ दुल्हे को रगड़े
करती पानी-पानी
सबकी गजब कहानी
दारू पीकर भिऽमंगा भी
अपने को कहता दानी
घर में भूंजी भंग नहीं है
बाहर दिऽाता शानी
सबकी गजब कहानी
बुढ़वा के मुँह में दाँत नहीं
दिऽाता रंगत मर्दानी
गाल तमाचा ऽाते ही
होता बिल्ली ऽिसयानी
सबकी गजब कहानी।