हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हो दिल्ली में बिक रही छींट छींट लेते आइयो
मेरठ में चलै मसीन वहीं सिलवाइयो
रास्ते में म्हारा गाम वहीं डट जाइयो
मेरा बाबा काढ़ै धार, नमस्ते करियो
मेरी अम्मा फेरे हाथ नीचे को नव जाइयो
मेरी भाभी की बजनी टूम बिदक मत जाइयो