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हो लिया देश का नाश, आज ये मोटे चाळे होगे / जय सिंह खानक

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हो लिया देश का नाश, आज ये मोटे चाळे होगे
ना सही व्यवस्था आज देश मैं, हालात कुढ़ाळे होगे
निजीकरण और छटणीं की या पूरी तैयारी करली
कई महकमें बेच दिये, कईयां की तैयारी करली
सर्विस करणिये लोगां की, घर भेजण की तैयारी करली
बिना बताए घर नै भेजैं, मारण की तैयारी करली
या तेग दुधारी गर्दन पर धरली, इसे काटण आळे होगे

धंधे खत्म करे सारे, जनता की किस्मत फोडैं सैं
रोज लगावैं नए टैक्स, जनता की गर्दन तोड़ैं सैं
कदे बिजली बिल कदे किराये, ये रोजे सिरनै फोड़ैं सैं
खाद बीज के दाम बढ़ाकै, किसानां की कड़ तोड़ै सै
ये सबका ए सिर फौड़ैं सैं, इसे लुटण आळे होगे

विदेशी कर्जा बढ़्या देश पै, या हालत खारी होगी
कोण चुकावै इस बढ़े कर्ज नै या खास बिमारी होगी
ना शिक्षा ना स्वास्थ देश मैं, या घणी लाचारी होगी
गरीबां नै ना मिलै मजदूरी, न्यू ठोकर खाणी होगी
कानून व्यवस्था ठप्प होगी, मरणे के ढ़ाले होगे

कदे हवाले कदे घोटाले, एक परखा नई चला दी
लूट-लूट के पूंजी सारी, विदेशां मैं जमा करादी
निजीकरण और छंटणी की, एक नइये चाल चला दी
सरकार महकमें बेच रही, या किसनै बुरी सलाह दी
या नींव देश की हिला दी, कोण डाटण आळे होगे

लोक सभा और विधान सभा मैं, जा बैठे हत्यारे
जो करैं व्यवस्था खत्म देश की, और फोड़ैं कर्म हमारे
रळ मिलके नै संगठन करल्यो, आगै होकै सारे
इन चोर, लुटेरे बदमाशां तै, मिलके लड्ल्यो सारे
कहै मा.जयसिंह खानक आळा न्यूए झगड़े झोणे होंगे