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लेखिका: [[सुभद्राकुमारी चौहान]]{{KKGlobal}}[[Category:कविताएँ]]{{KKRachna[[Category:|रचनाकार=सुभद्राकुमारी चौहान]]}}{{KKAnthologyBasant}}{{KKCatKavita‎}}<poem>{{KKPrasiddhRachna}}यहाँ कोकिला नहीं, काग हैं, शोर मचाते, काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते।
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*कलियाँ भी अधखिली, मिली हैं कंटक-कुल से, वे पौधे, व पुष्प शुष्क हैं अथवा झुलसे।
यहाँ कोकिला नहींपरिमल-हीन पराग दाग सा बना पड़ा है, काग हैं, शोर मचाते, <br> काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते। <br><br>हा! यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा है।
कलियाँ भी अधखिली, मिली हैं कंटक-कुल प्रिय ऋतुराज! किन्तु धीरे सेआना, <br> वे पौधे, व पुष्प शुष्क हैं अथवा झुलसे। <br><br>यह है शोक-स्थान यहाँ मत शोर मचाना।
परिमल-हीन पराग दाग सा बना पड़ा हैवायु चले, <br>हा! यह प्यारा बाग खून पर मंद चाल से सना पड़ा है। <br><br>उसे चलाना, दुःख की आहें संग उड़ा कर मत ले जाना।
कोकिल गावें, प्रिय ऋतुराज! किन्तु धीरे से आनाराग रोने का गावें, <br> यह है शोक-स्थान यहाँ मत शोर मचाना। <br><br>भ्रमर करें गुंजार कष्ट की कथा सुनावें।
वायु चलेलाना संग में पुष्प, पर मंद चाल से उसे चलानान हों वे अधिक सजीले, <br> दुःख की आहें संग उड़ा कर मत ले जाना। <br><br>तो सुगंध भी मंद, ओस से कुछ कुछ गीले।
कोकिल गावें, किन्तु राग रोने का गावेंन तुम उपहार भाव आ कर दिखलाना, <br> भ्रमर करें गुंजार कष्ट की कथा सुनावें। <br><br>स्मृति में पूजा हेतु यहाँ थोड़े बिखराना।
लाना संग में पुष्पकोमल बालक मरे यहाँ गोली खा कर, न हों वे अधिक सजीले, <br> तो सुगंध भी मंद, ओस से कुछ कुछ गीले। <br><br>कलियाँ उनके लिये गिराना थोड़ी ला कर।
किन्तु न तुम उपहार भाव आ कर दिखलानाआशाओं से भरे हृदय भी छिन्न हुए हैं, <br> स्मृति में पूजा हेतु यहाँ थोड़े बिखराना। <br><br>अपने प्रिय परिवार देश से भिन्न हुए हैं।
कोमल बालक मरे कुछ कलियाँ अधखिली यहाँ गोली खा करइसलिए चढ़ाना, <br> कलियाँ उनके लिये गिराना थोड़ी ला कर। <br><br>कर के उनकी याद अश्रु के ओस बहाना।
आशाओं से भरे हृदय भी छिन्न हुए तड़प तड़प कर वृद्ध मरे हैंगोली खा कर, <br> अपने प्रिय परिवार देश से भिन्न हुए हैं। <br><br>शुष्क पुष्प कुछ वहाँ गिरा देना तुम जा कर।
कुछ कलियाँ अधखिली यहाँ इसलिए चढ़ाना, <br>कर के उनकी याद अश्रु के ओस बहाना। <br><br> तड़प तड़प कर वृद्ध मरे हैं गोली खा कर, <br>शुष्क पुष्प कुछ वहाँ गिरा देना तुम जा कर। <br><br> यह सब करना, किन्तु यहाँ मत शोर मचाना, <br> यह है शोक-स्थान बहुत धीरे से आना। <br><br/poem>
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