भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जलियाँवाला बाग में बसंत / सुभद्राकुमारी चौहान" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=सुभद्राकुमारी चौहान
 
|रचनाकार=सुभद्राकुमारी चौहान
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 +
यहाँ कोकिला नहीं, काग हैं, शोर मचाते, 
 +
काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते। 
  
यहाँ कोकिला नहीं, काग हैं, शोर मचाते, <br>
+
कलियाँ भी अधखिली, मिली हैं कंटक-कुल से,
काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते। <br><br>
+
वे पौधे, व पुष्प शुष्क हैं अथवा झुलसे। 
  
कलियाँ भी अधखिली, मिली हैं कंटक-कुल से, <br>
+
परिमल-हीन पराग दाग सा बना पड़ा है,
वे पौधे, व पुष्प शुष्क हैं अथवा झुलसे। <br><br>
+
हा! यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा है। 
  
परिमल-हीन पराग दाग सा बना पड़ा है, <br>
+
, प्रिय ऋतुराज! किन्तु धीरे से आना, 
हा! यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा है। <br><br>
+
यह है शोक-स्थान यहाँ मत शोर मचाना। 
  
, प्रिय ऋतुराज! किन्तु धीरे से आना, <br>
+
वायु चले, पर मंद चाल से उसे चलाना,
यह है शोक-स्थान यहाँ मत शोर मचाना। <br><br>
+
दुःख की आहें संग उड़ा कर मत ले जाना। 
  
वायु चले, पर मंद चाल से उसे चलाना, <br>
+
कोकिल गावें, किन्तु राग रोने का गावें,
दुःख की आहें संग उड़ा कर मत ले जाना। <br><br>
+
भ्रमर करें गुंजार कष्ट की कथा सुनावें। 
  
कोकिल गावें, किन्तु राग रोने का गावें, <br>
+
लाना संग में पुष्प, न हों वे अधिक सजीले,
भ्रमर करें गुंजार कष्ट की कथा सुनावें। <br><br>
+
तो सुगंध भी मंद, ओस से कुछ कुछ गीले। 
  
लाना संग में पुष्प, हों वे अधिक सजीले, <br>
+
किन्तु तुम उपहार भाव आ कर दिखलाना,
तो सुगंध भी मंद, ओस से कुछ कुछ गीले। <br><br>
+
स्मृति में पूजा हेतु यहाँ थोड़े बिखराना। 
  
किन्तु न तुम उपहार भाव आ कर दिखलाना, <br>
+
कोमल बालक मरे यहाँ गोली खा कर,
स्मृति में पूजा हेतु यहाँ थोड़े बिखराना। <br><br>
+
कलियाँ उनके लिये गिराना थोड़ी ला कर। 
  
कोमल बालक मरे यहाँ गोली खा कर, <br>
+
आशाओं से भरे हृदय भी छिन्न हुए हैं,
कलियाँ उनके लिये गिराना थोड़ी ला कर। <br><br>
+
अपने प्रिय परिवार देश से भिन्न हुए हैं। 
  
आशाओं से भरे हृदय भी छिन्न हुए हैं, <br>
+
कुछ कलियाँ अधखिली यहाँ इसलिए चढ़ाना,
अपने प्रिय परिवार देश से भिन्न हुए हैं। <br><br>
+
कर के उनकी याद अश्रु के ओस बहाना। 
  
कुछ कलियाँ अधखिली यहाँ इसलिए चढ़ाना, <br>
+
तड़प तड़प कर वृद्ध मरे हैं गोली खा कर,
कर के उनकी याद अश्रु के ओस बहाना। <br><br>
+
शुष्क पुष्प कुछ वहाँ गिरा देना तुम जा कर। 
  
तड़प तड़प कर वृद्ध मरे हैं गोली खा कर, <br>
+
यह सब करना, किन्तु यहाँ मत शोर मचाना,
शुष्क पुष्प कुछ वहाँ गिरा देना तुम जा कर। <br><br>
+
यह है शोक-स्थान बहुत धीरे से आना।  
 
+
</poem>
यह सब करना, किन्तु यहाँ मत शोर मचाना, <br>
+
यह है शोक-स्थान बहुत धीरे से आना। <br><br>
+

16:16, 18 अक्टूबर 2009 का अवतरण

यहाँ कोकिला नहीं, काग हैं, शोर मचाते,
काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते।

कलियाँ भी अधखिली, मिली हैं कंटक-कुल से,
वे पौधे, व पुष्प शुष्क हैं अथवा झुलसे।

परिमल-हीन पराग दाग सा बना पड़ा है,
हा! यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा है।

ओ, प्रिय ऋतुराज! किन्तु धीरे से आना,
यह है शोक-स्थान यहाँ मत शोर मचाना।

वायु चले, पर मंद चाल से उसे चलाना,
दुःख की आहें संग उड़ा कर मत ले जाना।

कोकिल गावें, किन्तु राग रोने का गावें,
भ्रमर करें गुंजार कष्ट की कथा सुनावें।

लाना संग में पुष्प, न हों वे अधिक सजीले,
तो सुगंध भी मंद, ओस से कुछ कुछ गीले।

किन्तु न तुम उपहार भाव आ कर दिखलाना,
स्मृति में पूजा हेतु यहाँ थोड़े बिखराना।

कोमल बालक मरे यहाँ गोली खा कर,
कलियाँ उनके लिये गिराना थोड़ी ला कर।

आशाओं से भरे हृदय भी छिन्न हुए हैं,
अपने प्रिय परिवार देश से भिन्न हुए हैं।

कुछ कलियाँ अधखिली यहाँ इसलिए चढ़ाना,
कर के उनकी याद अश्रु के ओस बहाना।

तड़प तड़प कर वृद्ध मरे हैं गोली खा कर,
शुष्क पुष्प कुछ वहाँ गिरा देना तुम जा कर।

यह सब करना, किन्तु यहाँ मत शोर मचाना,
यह है शोक-स्थान बहुत धीरे से आना।