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115 / हीर / वारिस शाह

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अखीं लगियां मुड़न ना बीर मेरे बीबा वार घती बलहारियां वे
वहिण पए दरया नहीं कदी मुड़दे वडे ला रहे जोर जारियां वे
लहू किउं करना निकले भाई ओथेां जिथे लगियां तेज कटारियां वे
लगे दसत इक वार ना बंद कीचन वैद लिखदे बैदगिआं सारियां वे
सिर दितयां बाझ ना इशक पके एह नहीं सुखालियां यारियां वे
वारस शाह मियां भाई वरजदे नी देखो इशक बणाइयां खुआरियां वे

शब्दार्थ
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