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126 / हीर / वारिस शाह

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झगड़ डूम ते फतू कलाल दौड़े भोला चूहड़ा ते झंडू चाक मियां
जा हीर अगे धुम घतीया ने बची कही उडाई आ खाक मियां
तेरी मां तेरे उते बहुत गुस्से बाप करेगा मार हलाक मियां
रांझा जा तेरे सिर आन बनी नाले आखदी मारीए चाक मियां
सियालां फिकर कीता तेरे मारने दा गिणे आपनूं बहुत चलाक मियां
तोता अम्ब दी डाली ते करे मौजां ते गुलेलड़ा पौस पटाक मियां
चुल्हीं सियालां ने अज न अग पाई सारा कोड़मा बहुत गमनाक मियां
वारस शाह यतीम दे मारने नूं चढ़ी सब झनाउं दी ढाक मियां

शब्दार्थ
<references/>