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12 / हीर / वारिस शाह

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हजरत काज़ी ने पैंच सदा सारे भाइयां जिमीं नूं कछ पवाइयां ई
वढी दे के जिमीं लै गये चंगी बंजर जिमीं रंझेटे नूं आइया ई
कछां मार शरीक मजाक करदे भाइयां रांझे दे बाब बनाइया ई
गल भाइयां भाबिआं एह बना छडी मगर जट दे फकड़ी लाइया ई

शब्दार्थ
<references/>