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137 / हीर / वारिस शाह

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हिक मार लतां दुई मार छमक<ref>सोटी से मारना</ref> त्रीई नाल चटाकियां मारदी ए
कोई इट बटा जुती ढीम पथर कोई पकड़ के धौन मुढ मारदी ए
कोई पुट दाहड़ीदुबरू विच देंदी कोई डंडका विच गुजारदी ए
चोर मारीदा देखने चलो साधो वारस शाह एह जबत सरकार दी ए

शब्दार्थ
<references/>