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174 / हीर / वारिस शाह

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हीरमाउं देनाल आ लड़न लगी तुसां साक कीता नाल जोरियां दे
कदों मंगया मुनस मैं तुध कोलों बैर कढया ने लाल घोरियां दे
हुण करें वलाए क्यों असां कोलों एह कम्म ना हुंदे ने चोरियां दे
जेहड़े होन विआकुल चा लावंदे ने इटां बारियां दीयां विच मोरियां दे
चाए चुगद<ref>उल्लू</ref> नूं कंूज दा साक दितो परी बधीया ई गल ढोरियां दे
वारस शाह मियां गनां जग सारा मजे चख लै पोरियां पोरियां दे

शब्दार्थ
<references/>