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182 / हीर / वारिस शाह

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राती विच रलाइके माहिये नूं कुड़ियां हीर दे पास लै आइयां नी
हीर आखया औंदे नूं बिसमिला<ref>बिस्मिल्लाह, अल्लाह के नाम से शुरू करना</ref> अज दौलतां मैं घर आइयां नी
रांझे आखया हीर दा वयाह हुंदा असीं वेखणे आइयां माइयां नी
सूरज चढ़ेगा मगरबों<ref>मगरिब</ref> जिवें कयामत तौबा तरक कर कुल बुराइयां नी
जिन्हां मही दा चाक सां सुणी नढी सोई खेड़यां दे हथ आइयां नी
ओसे वकत जवाब है मालकां नूं हिक धाड़विआं अगे लाइयां नी
एह सहेलियां साक ते सैन तेरे सभे मासीयां फुफीयां ताइयां नी
तुसां वहुटियां बण दी नीत बधी लीकां हद ते पज के लाइयां नी
आस असां दी केही है नढीए नी जिथे खेढ़यां जरां वखाइयां नी
वारस शाह अलाह नूं सौंपियों तूं सानूं छड के होर र लाइयां नी

शब्दार्थ
<references/>