भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

190 / हीर / वारिस शाह

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:32, 31 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

असकंदरी नेवरां वीर बलियां पिपल वतरे झुमके सारयो ने
हस जड़े छनकंगनां नाल जुगनी ठिके नाल ही चा सवारयो ने
चंननहार लोगाढ़ियां नाल लूहला वडी डोल मयानडे धारयो ने
दाज घत के विच संदूक बधे सुनो की की दाज रंगारयो ने
वारस शाह मियां असल दाज रांझा इक ओह बदरंग करायो ने

शब्दार्थ
<references/>