भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

191 / हीर / वारिस शाह

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:36, 31 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लाल लुंगियां अते मताअ लाचे नाल रेशम खेस सलारियां ने
माणक चौंक पटामलां डोरिए सन बूंदा होर पंजदानियां सारियां ने
चोंप छैला ते चार सुतये सन चंदा मोरां दे बान्हणू<ref>बारीक मलमल के दुपट्टे</ref> कारियां ने
सालू तीहरे चादरां बाफते दीयां नाल भोशनां दे फुलकारियां ने
वारस शाह चिकनी सिरोपाउ खासे ते पाष्ठाकियां मिलदया भारियां ने

शब्दार्थ
<references/>