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"1 गंगा जी तेरे खेत मैं.../ हरियाणवी" के अवतरणों में अंतर

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पवन पवित्र अमृत बणकै, पर्बत पै गई थी ठहर।।
 
पवन पवित्र अमृत बणकै, पर्बत पै गई थी ठहर।।
 
भागीरथ नै तप कर राख्या, खोद कै ले आया नहर।।।
 
भागीरथ नै तप कर राख्या, खोद कै ले आया नहर।।।
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साठ हज़ार सगर के बेटे, जो मुक्ति का पागे धाम।
 
साठ हज़ार सगर के बेटे, जो मुक्ति का पागे धाम।
 
अयोध्या कै गोरै आकै, गंगा जी धराया नाम।।
 
अयोध्या कै गोरै आकै, गंगा जी धराया नाम।।
 
ब्रह्मा विष्णु शिवजी तीनो, पूजा करते सुबह शाम ।।।
 
ब्रह्मा विष्णु शिवजी तीनो, पूजा करते सुबह शाम ।।।
 
सब दुनिया तेरे हेत मैं, किसी हो रही जय जयकार .... कन्हिया झूलते संग रुक्मण झूल रही~~~~
 
सब दुनिया तेरे हेत मैं, किसी हो रही जय जयकार .... कन्हिया झूलते संग रुक्मण झूल रही~~~~
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गंगा जी तेरे खेत मैं री माई गडे सैं हिंडोळे चयार कन्हिया झूलते संग रुक्मण झूल रही ।
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अष्ट वसु तन्नै पैदा किये, ऋषियों का उतार्या शाप।
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शांतनु कै ब्याही आई, वसुओं का बनाया बाप।।
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शील गंग छोड कै  स्वर्ग मैं चली गई आप।।।
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तीन चरण तेरे गए मोक्ष मैं, एक चरण तू बणकै आई।
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नौसै मील इस पृथ्वी पै, अमृत रूप बणकै छाई।।
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यजुर-अथर्व-साम च्यारों वेदों नै बड़ाई गाई।।।
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शिवजी चढ़े थे जनेत  मैं, किसी बरसी थी मूसलधार .... कन्हिया झूलते संग रुक्मण झूल रही~~~~
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गंगा जी तेरे खेत मैं री माई गडे सैं हिंडोळे चयार कन्हिया झूलते संग रुक्मण झूल रही ।
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03:14, 30 जनवरी 2013 का अवतरण

गंगा जी तेरे खेत मैं री माई गडे सैं हिंडोळे चयार कन्हिया झूलते संग रुक्मण झूल रही ।
शिवजी के करमंडल कै, विष्णु जी का लाग्या पैर।
पवन पवित्र अमृत बणकै, पर्बत पै गई थी ठहर।।
भागीरथ नै तप कर राख्या, खोद कै ले आया नहर।।।

साठ हज़ार सगर के बेटे, जो मुक्ति का पागे धाम।
अयोध्या कै गोरै आकै, गंगा जी धराया नाम।।
ब्रह्मा विष्णु शिवजी तीनो, पूजा करते सुबह शाम ।।।
सब दुनिया तेरे हेत मैं, किसी हो रही जय जयकार .... कन्हिया झूलते संग रुक्मण झूल रही~~~~
गंगा जी तेरे खेत मैं री माई गडे सैं हिंडोळे चयार कन्हिया झूलते संग रुक्मण झूल रही ।

अष्ट वसु तन्नै पैदा किये, ऋषियों का उतार्या शाप।
शांतनु कै ब्याही आई, वसुओं का बनाया बाप।।
शील गंग छोड कै स्वर्ग मैं चली गई आप।।।

तीन चरण तेरे गए मोक्ष मैं, एक चरण तू बणकै आई।
नौसै मील इस पृथ्वी पै, अमृत रूप बणकै छाई।।
यजुर-अथर्व-साम च्यारों वेदों नै बड़ाई गाई।।।
शिवजी चढ़े थे जनेत मैं, किसी बरसी थी मूसलधार .... कन्हिया झूलते संग रुक्मण झूल रही~~~~
गंगा जी तेरे खेत मैं री माई गडे सैं हिंडोळे चयार कन्हिया झूलते संग रुक्मण झूल रही ।