भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

204 / हीर / वारिस शाह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कालू-बला<ref>शुभ दिन</ref> दे दिन नकाह बधा रूह नबी दी आप पढ़ाया ए
कुतब हो वकील विच आन बैठा हुकम नब्ब ने आप कराया ए
जबराईल मेकाईल गवाह चारे अजराइल<ref>यह चार फरिश्ते</ref> असराफील आया ए
अगला तोड़ के होर नकाह पढ़ना आख रब्ब ने कदों फुरमाया ए

शब्दार्थ
<references/>