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उसकी शहादत के बाद बाकी लोग <br />
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शहीद होने की घड़ी में वह अकेला था ईश्वर की तरह<br />
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लोगों की आवाज़ें जम गयीं  
लेकिन ईश्वर की तरह वह निस्तेज न था.
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लेकिन ईश्वर की तरह वह निस्तेज न था
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23:55, 23 मार्च 2011 के समय का अवतरण

उसकी शहादत के बाद बाक़ी लोग
किसी दृश्य की तरह बचे
ताज़ा मुंदी पलकें देश में सिमटती जा रही झाँकी की
देश सारा बच रहा बाक़ी
 
उसके चले जाने के बाद
उसकी शहादत के बाद
अपने भीतर खुलती खिडकी में
लोगों की आवाज़ें जम गयीं

उसकी शहादत के बाद
देश की सबसे बड़ी पार्टी के लोगों ने
अपने चेहरे से आँसू नहीं, नाक पोंछी
गला साफ़ कर बोलने की
बोलते ही जाने की मशक की

उससे सम्बन्धित अपनी उस शहादत के बाद
लोगों के घरों में, उनके तकियों में छिपे हुए
कपड़े की महक की तरह बिखर गया

शहीद होने की घड़ी में वह अकेला था ईश्वर की तरह
लेकिन ईश्वर की तरह वह निस्तेज न था