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250 / हीर / वारिस शाह

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एस जोग दे वाइदे बहुत औखे नाद अलेख ते सुन्न वजावना ओए
ताड़ी<ref>समाधि</ref> लाइके नाथ वल ध्यान धरना दसवे दुआर सवास चढ़ावना ओए
जन्मे आय दा हरख<ref>खुशी</ref> ते सोग छडे नही मोयां गयां पछोतावना ओए
नाम फकर दा बहुत असान लैना खरा कठन है जोग कमावना ओए
धो धाए के जटा नूं धूप देना सदा अंग भबूत रमावना ओए
उदयान<ref>जंगल</ref> बासी जती सती जोगी झात स्त्री ते नाहीं पावना ओए
लख खूबसूरत परी हूर होवे जरा जीउड़ा नहीं भरमावना ओए
कंद मूल ते पोसत अफीम बचा नशा खाइके मसत हो जावना ओए
जग खाब खयाल दी बात जानी हो कमलयां होश भुलावना ओए
काम क्रोध ते लोभ हंकार मारन जोगी खाक दर खाक<ref>बरबाद</ref> हो जावना ओए
मेले साधां दे खेलीभा देश पछम नवां नाथां दा दरशन पावना ओए
घत मुंदरां जंगलां विच रहना बिन किंग<ref>साजदानां</ref> ते संख वजावना ओए
रन्नां घूरदा गांवदा फिरे वहशी तैथों औखड़ा जोग कमावना ओए
वारस जोग है कम नरासयां दा तुसां हक दाराह बतावना ओए

शब्दार्थ
<references/>