भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

5 फ़ुट 7 इँच / शीमा कलबासी / अनिल जनविजय

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:34, 5 अक्टूबर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शीमा कलबासी |अनुवादक=अनिल जनविजय...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं इसकी कोई परवाह नहीं करती कि तुम तुम हो और मैं हूँ मैं । मैं कोई अनोखा फूल तो हूँ नहीं। तुम्हारे पास जैसा भी कोट है, मैं पहन लूँगी ख़ुद को गर्म करने के लिए ... और जूते हालाँकि छोटे हैं ... पर मैं उन्हें पहनकर चलूँगी ताकि हमारी लम्बाई का अन्तर बराबर हो सके । मेरे लिए तुम्हें ख़ुद को बदलने की ज़रूरत नहीं है, मैं तो पहले ही तुम्हारे अनुरूप बदल चुकी हूँ । तुम देखो कि मैंने धर्म से शुरुआत नहीं की। मैं नंगी पैदा हुई थी, मैंने नहीं पहन रखा था कोई धर्म तुम्हारे प्यार के सिवा ।

मुझे पता है कि यह कोई ज़रूरी बात नहीं है । मुझे पता है कि मैंने कुछ भी नहीं बदला है । कोई कोट नहीं है, कोई सन्तुलन भी नहीं, और जूते भी नहीं लेकिन मेरे बारे में जो नंगा सच है, उसने ही पहले तुम्हें ढूँढ़ा है, तुमने मुझे नहीं ढूँढ़ा है । तुम्हें तो कभी यह पता भी नहीं चलेगा कि मैं कौन थी जब मैं सफ़ेद चादरों पर बैठी हुई थी।

तु म, मे री ब ग़ ल में न हीं हो ।

और वो शब्द, जो पहले ही लिखे जा चुके हैं, वे शब्द, जो पहले ही कहे जा चुके हैं, जो पहले ही महसूस किए जा चुके हैं और बीत चुके हैं ।

और मैं अपने ख़ाली हाथों की अँजुरी में भरकर उन्हें वापिस लाने की कोशिश कर रही हूँ । मैं अपने हाथों को अपने सीने से चिपका लेती हूँ। आराम मिलता है सीने को । मेरे दिल को आराम मिलता है । मैं अपनी आत्मा को ज़बरदस्ती वापिस लाती हूँ। यह वही आत्मा है जो पहले आपके सामने थी ।

अफ़सोस ! मैं सिर 5 फ़ुट 7 इँच की हूँ ।

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए, अब यह कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
             Sheema Kalbasi
                       5.7

I don't care if you are you and I am I. I am not some exotic flower. Whatever coat you have on, I will put it on to warm me... and the shoes however small... I will walk in them to balance our height difference. You don't need to convert for me; I have already converted to you. You see I never had a religion to begin with. I was born naked from all religions but your love.

I know that was not the point. I know there is no conversion. There is no coat, no balance, no shoes but the naked truth of me finding you first, not you finding me. You, whom will never know who I was when I was sitting on the white sheets.

Y o u, not b e s i d e m e.

And the words that are already written. The words that are already said, are already felt, and are already gone.

And I try to take them back into my empty bowl of hands. To put my hands on the chest. The chest into rest. The rest in to the heart. The beat back to the soul. The soul, back to what it was before you.

Alas! I am 5.7

शब्दार्थ
<references/>