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अँखिया तोरऽ बड़े बड़े दुलरुआ / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

दुलहे से यह पूछे जाने पर कि इतने सौंदर्य के रहते तुम अबतक क्वाँरे क्यों हो? वह उत्तर देता है- ‘मेरे पिता दरबार में दीवान थे, चाचा खेती करते थे और मेरे भाई व्यापार में लगे रहे, इसी कारण मैं अब तक क्वाँरा रहा। सबने अपना-अपना काम छोड़ दिया है। अब मेरा विवाह होगा।’

इस गीत में दुलहे द्वारा नदी में महाजाल डालकर एक कुमारी कन्या को फँसाकर निकालने और उसके साथ विवाह करने का उल्लेख है।

अँखिया तोरऽ बड़े बड़े दुलरुआ, ठोर<ref>ओष्ठ</ref> दुनु चुबाए<ref>चूता है</ref> मंजूर<ref>मंजूर।कहीं कहीं ‘गुलाब’ का प्रयोग हुआ है</ref> हे।
एतना सुरतिया तोरा छलौं दुलरुआ, कौनी बिधि रहले कुमार हे॥1॥
हमरऽ जे बाबा दर रे देवनियाँ<ref>दरबारी होना; दरबार में दीवान का काम करना</ref>, चाचा जोतै कुरखेत<ref>जोता-कोड़ा खेत</ref> ह।
भैया जे हमरा जिरबा<ref>जीरे की लदनी करना; व्यापार करना</ref> लधनियाँ, यही बिधि रहलाँ कुमार हे॥2॥
बाबा जे छोड़लाँ दर रे देमनियाँ, चाचा छोड़ै कुरखेत हे।
भैया जे छोड़लाँ जिरबा लदनियाँ, अब मोरा होइता बिआह हे॥3॥
किनखा के नदिया में इरे झिरे पनियाँ, किनखा ऐंगना बहै सेमार हे।
किनखा के नदिया में चेल्हबा<ref>एक प्रकार की छोटी मछली</ref> मछरिया, कवन लाले बाबू दिए महाजाल हे॥4॥
बाबा के नदिया में इरे झिरे पनियाँ, चाचा नदिया में बहै सेमार हे।
भैया के नदिया में चेल्हबा मछरिया, कवन लाले बाबू दिए महाजाल हे॥5॥
एके छाँके<ref>एक बार जाल को खींचा</ref> छाँकले इरे झिरे पनियाँ, दोसरे छाँके छाँकले सेमार हे।
तिसरी छाँके छाँकले कनेया कुमार, अबे मोरा होइतऽ बिआह हे॥6॥

शब्दार्थ
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