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अंगिका रामायण / तेसरोॅ सर्ग / भाग 1 / विजेता मुद्‍गलपुरी

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घट-घट वासी राम, अवध निवासी राम
चित्रकूट बासी वनवासी के प्रमाण छै।
जग हितकारी राम, भव भय हारी राम
जग सुखकारी, अविकारी के प्रणाम छै।
परम दयालु राम, जगत कृपालु राम
असरण जन रखवालु प्रभु राम छै।
कौशिल्या के प्यारोॅ, दशरथ के दुलारोॅ राम
सब वेसहारा के सहारा एक राम छै॥1॥

छिति-जल-पावक अेॅ गगन समीर आदि
जोने उपजैलकै वहेॅ स्वयंभू राम छै।
निरगुण राम जे जगत बीच पूजित छै
भनत विजेता वहेॅ राम शालीग्राम छै।
ओम के ध्वनि जगत व्यापित प्रतीक राम
जिनकर नाम जपै संत आठोयाम छै।
दशरथ नन्दन सगुण लीलाधारी राम
जिनकर यश गावै लौग गामे-गाम छै॥2॥

बार-बार वंदौ हम राम के जनम भूमि
ब्रह्म जहाँ आवी क मनुज रूप धैलकै।
फेरो वंदौ दशरथ आरू कौशल्या माता के
ब्रह्म के जे पूत के रूपोॅ में अपनैलकै।
धरती के धूरी कहलावै वाला शेष वंदौं
धरती पे आवी रामानुज जे कहैलकै।
लक्ष आरू मन दोनों एक दिश में राखी क
राम के अनुज लक्षमण नाम पैलकै॥3॥

जगत में धरम के धूरी कहलावै वाला
भरत के जुग पद कमल मनाय छी।
जिनका सुमरला से शत्रु के दमन हुए
उनका सुमरी हम विघन मेटाय छी।
जौने निज पुत्र प्रभु राम के चरण सौपै
 माथ माता सुमित्रा चरण में झुकाय छी।
जिनकर कुटनीति राम में रामत्व आनै
अपयश मूरति माता के यश गाय छी॥4॥

सुमिरन करै छी जगत गुरू महादेव
जिनका से ज्ञान जोत जग में जरय छै।
जिनका से जगत के गुरू के प्रकाश मिलै
देवगुरू के भी जौने शंसय हरय छै।
जगत में जब-जहाँ जे भी गुरू पूजित छै
सब पर कृपा महादेव जी करय छै।
परम आनन्द के रोॅ दाता महादेव गुरू
सब गुरू के हिय में आवी उतरय छै॥5॥

दोहा -

गुरू ज्ञान के मूल छै, नाम तरणि संसार।
चित में जे धारै गुरू, उतरै से भव पार॥1॥

जे कथा महेश पारवती के सुनैने रहै
यहेॅ काग भुसुण्डी गरूड़ के सुनैलकै।
गरूड़ के मन में बसल रहै महादेव
रामकथा सुनी सब मोह के मिटैलकै।
वहेॅ कथा ऋषि याज्ञवलक वखान करी
राम के रहस्य भारद्वाज के सुनैलके।
वहेॅ कथा वालमीकि संत के समझ कहै
आरो गोसाई जी घरे-घर पहुँचैलकै॥6॥

पहिने रामायण के श्रोता के प्रणाम करौ
जिनकर राम से जुरल अनुराग छै।
सब से प्रथम श्रोता भगवती पारवती
एहनोॅ अचल कहाँ सब के शौभाग छै।
निलगिरी पर सुनै कथा नित पक्षीराज
जहाँ राम भाव ज्ञान भगती विराग छै।
तोहूँ बड़ भागी छिकेॅ सुनोॅ ऋषि भारद्वाज
राम के कथा के जोग सब के न भाग छै॥7॥

राम के कथा अनंत, सुनोॅ ऋषि भारद्वाज-
एक दिन पारवती शिव से पुछलकै।
कहु-कहु प्राणनाथ अगुण-अरूप ब्रह्म
केना कोन कारण मनुज रूप धैलकै?
केना क ई व्यापक जगत सिरजनिहार
राम के कौशल्या पूत के रूपोॅ में पैलकै?
मन के भरम सब मेटी द हे विश्वनाथ
दशरथी राम केना जग निरमैलकै?॥8॥

फेरो पुछलन एक बात सुनोॅ प्राणनाथ
हमरा तों एक उलझन से बचाय द।
एक उलझन एक जनम के नाशी गेल
एक टा भरम से पिछेड़ छोड़वाय द।
केना क विकारी-अविकारी के संयोग भेल?
ई रहस्य खोली क हे नाथ समझाय द।
राम जग रमता, त दशरथी राम कौन?
जानी क अज्ञानी नाथ हमरा बुझाय॥9॥

दोहा -

राम ब्रह्म नर रूप के, बनल कोन संजोग?
दशरथ नन्दन राम छिक, कैसें समझल लोग?॥2॥

राम अवतार के कथा के बिसतारी कहोॅ
केना भगवान राम बाल लीला कैलका?
फेरो नाथ कहोॅ विस्तार से विवाह लीला
केना क जनक के मनोरथ पुरैलका?
कैकेई के हठ कथा, विपिन गमन कथा,
केना प्रभु राम पंचवटी बास कैलका?
सीता के हरण आरू जटायु मरन कथा
सबरी के जेना नव-भगती बतैलका?॥10॥