भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अधा उमर त बीतिगै हमरि जाण पछ्याण मा / महेन्द्र ध्यानी विद्यालंकार

Kavita Kosh से
Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:09, 22 अगस्त 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र ध्यानी विद्यालंकार |अन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अधा उमर त बीतिगै हमरि जाण पछ्याण मा
बाकी अधा बि बीति जैलि वूँ तै बिसराण मा।

वूँ को रुसेणु छ रूड़ि घाम खुद रुवांद ह्यूँद सि
अबि कतगा बगत होलु मौल्यार आण मा।

जुगों बिटि कटेनि मेरि राति वूँकि याद मा
दिन बितेनि म्यारा वूँ को बिजि नम्बर मिलाण मा।

होला मस्त फोन मा फेस बुक यू ट्यूब मा
हम बि राजि छाँ यख सुंगर बांदर हकाण मा।

प्रीत छ खल्याण ग्यूँ कि दैं ल्यो या जाँठोंन कुट्यो
हमन धैरि यालि मोण सोचि समझि अछाण मा।

फुल फटांग जोनि सि ब्वलदा छा मुखड़ि मेरि
एक साल बि नि लगि वूँ तैं गरण लगाण मा।