भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अन्जनी के पूत रउरा / सुभाष चंद "रसिया"

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:29, 27 मार्च 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुभाष चंद "रसिया" |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हनुमानजी के ह्रदय में हरि नाम लिखल बा।
छतियाँ चीर के देखावे सीता-राम लिखल बा॥

अंजनी के पूत रउरा रामजी के दूत हई।
बाला अवतार में अइली पवन के सुत हई।
रउरा भक्ति में भक्तन के उद्धारलिखलबा।
हनुमानजी के ह्रदय हरि नाम लिखल बा।

बालापन में सूरज निलली दुनिया के देखलवली।
दुष्टन के संहार करेके सागर के लांघ गइली।
रउरा भक्ति में अब भक्तन के उद्धार लिखल बा॥
हनुमान जी के हृदय में हरिनाम लिखल बा॥

सोने के लंका जार दिहली रावण जईसन वीर के।
बड़ा भाग से पवनी रउरा धुरम अधम शरीर के।
रउरा सेवक हई राम के गुणगान लिखलवा॥
हनुमानजी के हृदय में हरिनाम लिखल बा॥

संजीवनी के खातिर लियाईली धौलागिरि उठायके।
लच्छमण जी के प्राण बचवली अमृत के पियाय के॥
राउर करनी से सब भक्तन के कल्याण लिखल बा॥
हनुमानजी के ह्रदय में हरिनाम लिखल बा॥