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अब कुलकानि तजे ही बनैगी / ललित किशोरी

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अब कुलकानि तजे ही बनैगी।
पलक ओट सत कोटि कलप सम, बिछुरत हिये कटारि हनैगी॥१॥

ललितकिसोरी अंत एक दिन, तजिबेई जब तान तनैगी।
फिर का सोच देहु तिल अंजुलि, लेहु अंक रसकेलि छनैगी॥२॥