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अब हमारा और चुप रहना नहीं आसान है / महेश कटारे सुगम

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अब हमारा और चुप रहना नहीं आसान है ।
पेट भूखा जिस्म पर चड्डी फटी बनियान है ।

हम कतारों में खड़े देते रहे हैं अर्ज़ियाँ,
पर सुनी उसकी गई जो भ्रष्ट है, बेइमान है ।

एक जंगल राज का कानून है इस मुल्क में,
एक ताक़तवर यहाँ सबके लिए भगवान है ।

पी रहे मंहगी शराबें कोठियों में बैठकर,
लोग सब ख़ुशहाल हैं कहना बहुत आसान है ।

मैं अकेला ही नहीं हूँ इस व्यवस्था के ख़िलाफ़,
अब सुगम के साथ में सम्पूर्ण हिन्दुस्तान है ।