भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अमर बेल उदय पै छाई / हरियाणवी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:40, 10 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=हरियाणवी |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=शा...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अमर बेल उदय पै छाई
जिस तलै म्हारी लाडो खेलण आई
हंस के उसके दादा ने गोद खिलाई
कहो म्हारी लाडो किसा बर ढूंढा
काला मत ढूंडो कुल ना लजावै
भूरा मत ढूंडो जलदी पसीजै
ओच्छा मत ढूंडो सब दिन खोटा
लम्बा मत ढूंडो सांगर तोडै
इसा बर ढूंडो जिसी थारी लाडो
कंवर कन्हीया मथुरा का बासी