भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अरसे से / अशोक कुमार

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:33, 15 अगस्त 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक कुमार |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गेहूँ के दाने
सालों से कहाँ देखा
आटे छोड़ कर

धान कहाँ देखा
चावल बदल-बदल कर

ज्वार-बाजरे में
फर्क भी कहाँ पता
सिर्फ इसके कि
वे कोई युग्म पद हैं

बैल कहाँ देखे
खेत में

किसान कहाँ देखा
अरसे से
सिवा इसके कि
कोई बुरी ख़बर थी उनकी
टी वी पर!