भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अवई अछि नाव नहिं भव स कदाचित ललित छी अपने / मैथिली

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:59, 22 सितम्बर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

अवई अछि नाव नहिं भव स कदाचित ललित छी अपने।
वैजन्ती मंगला काली शिवासिनी नाम अछि अपने।
हमर दुख कियो नहि बुझय कहब हम जाय ककरा स
कृपा करू आजु हे जननी बेकल भय आवि बैसल छी।


यह गीत श्रीमती रीता मिश्र की डायरी से