भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अेक सौ उणसठ / प्रमोद कुमार शर्मा

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:39, 4 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रमोद कुमार शर्मा |संग्रह=कारो / ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बै डाढा कोड करै सांवरै रा
सोधै आपरै हिड़दै री नाड़्यां
-साड़्यां
रो पल्लो राखै सिर ऊपर संभाळ
लज्जा करै जूनी संस्कृति री रुखाळ
पण आं दिना वै उदास है
बांरा बोल सुरता नैं सैन करै
देख-देख माया नैं गीला नैण करै
उजड़ती ई बगै है
सत्संग री बाड़्यां।