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आ क़दम मिलाकर चल, चल क़दम मिलाकर चल / कांतिमोहन 'सोज़'

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आ क़दम मिलाकर चल, चल क़दम मिलाकर चल

तेरा खूं पी जिसने तुझको कंकाल बनाया है
मेरे अरमानों पर भी उस ज़ालिम का साया है
उसके पर अगर काटने हैं परवाज़ मिलाकर चल
सरगम से सरगम सुर से सुर आवाज़ मिलाकर चल ।।
आ क़दम मिलाकर चल ।।

वो देख धुँधलकों के पीछे दुश्मन थर्राया है
हम एक हुए उसके प्राणों पर संकट आया है
अन्दाज़ मिला अंजाम मिला आग़ाज़ मिलाकर चल
सरगम से सरगम सुर से सुर आवाज़ मिलाकर चल ।।
आ क़दम मिलाकर चल ।।

रचनाकाल : जून 1978