भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आँखों में जमा कीच / शर्मिष्ठा पाण्डेय
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:06, 2 अगस्त 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शर्मिष्ठा पाण्डेय }} {{KKCatKavita}} <poem> आँख...' के साथ नया पन्ना बनाया)
आँखों में जमा कीच
आँखों में बेइंतिहा पानी जमा होने से था
बचपन में सुना था
नमक वाले पानी से सींचने से
पौधे जल जाते हैं
आँखों में जमा पानी भी
नमकीन था इसीलिए तो
ख्वाबों की पौध मुरझा गयी
ये नमक भी सिर्फ ज़ख्मों को
हरा रख सकता
पौधों को सपनों को नहीं
है ना?