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आंख्यूं बटि इत्गा आंसु पड़्यां भ्वां / जयवर्धन काण्डपाल

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 आंख्यूं बटि इत्गा आंसु पड़्यां भ्वां
भरि जांदू पूरू, सूखु क्वे कुवां
मन मा खौड़ का जु आड़ा फूक्यां मिन
तब जै पाकी माया जब लगाई धुवां
सारु त नि दीनि हाथ पकड़ी कैन
गिच्चु पिचके सबुन ब्वौलि यरां यरां
लुकारू दीन्यूं खारू मुण्ड तौंन लगाई
म्येरू दीन्यूं अमरत वत डाळि च्वां
तैंकि घाम औन्दि ट्वप्टि बन्द ह्वेगि
जु ज्वौन रातम छे रौब झऽणी बिजां