भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आकास / मालचंद तिवाड़ी

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ३ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:17, 30 अप्रैल 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मालचंद तिवाड़ी |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} {{KKCa...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

थूं कठै आकास
उडार में,
कै पांख में ?
मुगत हां म्हे
कै हां, थारी कांख में,
बितरो ई तौ नीं थूं,
जितरो समावै,
म्हांरी आंख में ?