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आकृति / नकुल सिलवाल

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अरे ! म त व्याप्त छु
आफुले ठाने जति,
थाहा भएजति
हावाको झोक्कामा
आफ्नै नाम
प्रतिध्वनित भैरहेको
परिवेशभरि
आफ्नै अनुहार नाचिरहेको
आहा ! कति सुन्दर कति लोभलाग्दो
आफ्नै, मात्र आफ्नो आकृति !………………………