भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आज दिवस लेऊँ बलिहारा / रैदास

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:19, 9 मार्च 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रैदास }} <poem> आज दिवस लेऊँ बलिहारा । मेरे घर आया राम...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आज दिवस लेऊँ बलिहारा ।
मेरे घर आया रामका प्यारा ॥टेक॥

आँगन बँगला भवन भयो पावन ।
हरिजन बैठे हरिजस गावन ॥१॥

करूँ डंडवत चरन पखारूँ ।
तन-मन-धन उन उपरि वारूँ ॥२॥

कथा कहै अरु अरथ बिचारैं ।
आप तरैं औरन को तारैं ॥३॥

कह रैदास मिलैं निज दासा ।
जनम जनमकै काटैं पासा ॥४॥