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आज फिर मैंने / रुस्तम

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आज फिर मैंने अपने माता-पिता को देखा।

वे
सड़क पर जा रहे थे, आगे पिता, पीछे माँ,
पहले से बहुत बूढ़े थे।

गर्म धूप में
उनके क़दम
लड़खड़ा रहे थे।

वे कहाँ से आ रहे थे?

हाथ में लाठी थी
पिता के,
सफ़ेद कपड़े
फटे हुए, मैले थे।

माँ के
स्थूल कन्धे पर लटके हुए थैले से बँधी हुई लहरा रही थी बिना
ढक्कन वाली, खाली, प्लास्टिक की हरी बोतल।

तब पिता ने
सिर उठाकर
सड़क के उस तरफ़ देखा।

क्या देखा होगा उसने जहाँ कुछ नहीं था?

माँ
उसके साथ
उसके पीछे की तरफ़ खड़ी थी।

वह भी वहीं देख रही थी।

फिर वे
गाड़ियों से बचते हुए
सड़क पार करके
उसी तरफ़ चले गए।