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आज भई मोरे मन की, सुनो सैंया / बुन्देली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

आज भई मोरे मन की, सुनो सैंया
सासो न आवे हमारो का बिगरे,
चरुजा चढ़ाई बच जैहें, सुनो सैंया। आज...
तुम उठके पिया चूल्हा जलइयो,
हम चरुआ धर लैहें, सुनो सैंया। आज...
जिठनी न आवे हमारो का बिगरे,
लड्डू बंधाई बच जैहें, सुनो सैंया। आज...
तुम उठ के पिया मेवा ले अइयो,
हम लड्डू बांध लैहें, सुनो सैंया। आज...
ननदी न आवें हमारो का बिगरे,
संतिया धराई बच जैहें, सुनो। सैंया...
तुम उठके पिया गोबर ले आइयो,
हम संतिया धर लैहें, सुनो सैंया। आज...
पड़ोसन न आवे हमारो का बिगरे,
सोहर गबाई बच जैहें, सुनो सैंया। आज...
तुम उठके पिया ढोलक बजइयो,
हम सोहर गा लैहें, सुनो सैंया। आज...