भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आधुनिकता / रामधारी सिंह "दिनकर"

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:43, 20 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामधारी सिंह "दिनकर" |संग्रह=नये सुभाषित / रामधा…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्रश्न
आधुनिकता की बही पर नाम अब भी तो चढ़ा दो,
नायलन का कोट हम सिलवा चुके हैं;
और जड़ से नोचकर बेली-चमेली के द्रुमों को
कैक्टसों से भर चुके हैं बाग हम अपना।

उत्तर
ठीक है, लेकिन, प्रयोगी काव्य भी कुछ जोड़ते हो?
और घर में चित्र हैं कितने पिकासो के?