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आपस में / प्रेमशंकर रघुवंशी

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एक कौर
तुम खिलाओ
एक मैं
सबके लिए
परस्पर यह करेंगे
तो दुनिया में
कोई भी
भूख से
कभ्भी नहीं मरेंगे !!