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आली बहु वासर, बिताए ध्यान धरि-धरि / सोमनाथ
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आली बहु वासर, बिताए ध्यान धरि-धरि,
तिनको सुफल, नैन दरसन पावेंगे।
होत हैं री सगुन, सुहावने प्रभात ही तैं,
अंगन में अधिक, विनोद सरसावेंगे॥
'सोमनाथ हरै-हरै, बतियाँ अनूठी कहि,
गूढ बिरहानल, की तपनि बुझावेंगे।
सबही तैं प्यारे प्रान, प्रानन तें प्यारे पति,
पतिँ तैं प्यारे ब्रजपति आज आवेंगे।