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आसमान मैला नहीं / इमरोज़ / हरकीरत हकीर

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एक विद्द्वान को किसी ने पूछा
अच्छे-अच्छे लेखक एक दुसरे के बारे
बुरा लिखते रहते हैं बुरा सोचते रहते हैं
विद्द्वान ने कहा-इन
लिखने वालों को
अभी लिखना ही आया है
जीना नहीं आया
जिस दिन जीना आ जाएगा
कोई भी बुरा जीना नहीं चाहेगा
न बुरा लिखकर न बुरा बोलकर
अभी सोच साफ़ नहीं
जब सोच साफ़ हो जाएगी
सोच आसमान हो जाएगी
और आसमान कभी भी मैला नहीं होता...