भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इश्क़ नहीं कोई नहंग है यारो / हातिम शाह

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ३ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:12, 12 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हातिम शाह }} {{KKCatGhazal}} <poem> इश्क़ नहीं को...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इश्क़ नहीं कोई नहंग है यारो
दुश्मन-ए-नाम-ओ-नंग है यारो

सब्र बिन और कुछ नहीं हमराह
कूचा-ए-इश्क़ तंग है यारो

शम्अ-रू पर न हुए क्यूँ कर डोर
दिल हमारा पतंग है यारो

बात उस तिफ़्ल-ख़ू की रम्ज़-आमेज़
मुज दिवाने को संग है यारो

तिल है तिरयाक चश्म जाम-ए-शराब
सब्ज़ा-ए-ख़त यू बंग है यारो

ज़ुल्फ़ का दिलरूबा की आज ख़याल
दिल कूँ क़ैद-ए-फ़रंग है यारो

उस परी-रू सी और ‘हातिम’ सी
रात दिन सुल्ह ओ जंग है यारो