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इश्क़ में लज़्ज़त है क्या ये दिल लगा कर देखिये / रंजना वर्मा

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इश्क़ में लज़्ज़त है क्या ये दिल लगा कर देखिये
हैं कहाँ पर धड़कनें पहलू में जा कर देखिये

है मिली मन्ज़िल उसे ठहरा नहीं जो राह में
चाहिये ग़र कामयाबी पग बढ़ा कर देखिये

कौन कहता है कि दिल दुखता नहीं तूफ़ान का
आँधियों में धूल मुट्ठी भर उठा कर देखिये

छीन ही लेगी सुकूने दिल मुहब्बत की डगर
प्यार में कोई नयी दुनियाँ बसा कर देखिये

हर जगह होती मिलावट आप भी चाहें अगर
नफ़रतों की धार में उल्फ़त मिला कर देखिये

जख़्म देने के लिये तो हैं सभी तैयार पर
हो सके तो जख़्म पर मरहम लगा कर देखिये

दर्द में आँसू बहाना तो कोई मुश्किल नहीं
रोक आँसू आँख में अब मुस्कुरा कर देखिये