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इस इमली के ओड़े चोड़े पात / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
इस इमली के ओड़े चोड़े पात
इमली तले साधण खड़ी
के म्हारी गोरी थमनै इमली की साध
के इमली तेरै मन बसी
ना राजा जी म्हारे इमली की साध
न इमली म्हारे मन बसी
हम नै तो म्हारा मारू प्यार की साध
आज रहो म्हारे महल में
पौ पाटी जद होई परभात
नाई कै नै दूब टांगिआ
के नाई का म्हारे जन्मी सै म्हैंस
के घोड़ी घुड़साल में
ना म्हारा जजमान जन्मी सै म्हैंस
ना घेड़ी घुड़साल मैं
थारे म्हारा जिजमान जनम्या सै पूत
बेल बधी थारे बाप की