भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इस समय उत्कंठित और विचारमग्न / वाल्ट ह्विटमैन

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:55, 7 सितम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वाल्ट ह्विटमैन |संग्रह= }} <Poem> इस समय उत्कंठित और ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इस समय उत्कंठित और विचारमग्न अकेले बैठे हुए
मुझे ऐसा लगता है कि दूसरे लोग भी दूसरे देशो में
इसी प्रकार उत्कंठित और विचारमग्न हैं,
मुझे ऐसा लगता है कि मैं ध्यान देने पर जर्मनी, इटली, फ्रांस, स्पेन में
या दूर, अतिदूर चीन या रूस या जापान में उनको दूसरी भाषाएँ बोलते हुए देख सकता हूँ
और मुझे ऐसा लगता है कि यदि मैं उन लोगों को
जान पाता तो उनके साथ मेरी वैसी ही संलग्नता
हो जाती, जैसी मेरी अपने देश के लोगों से होती है,
ओह !मैं जानता हूँ कि हमको बंधु और प्रेमी हो जाना चाहिए,
मैं जानता हूँ, मुझको उनके साथ प्रसन्न होना चाहिए


अंग्रेज़ी से अनुवाद : डॉ० दिनेश्वर प्रसाद