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इस होली... / प्रतिभा कटियार

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चलो, दुःख को नहला दें
ख़ुशियों के रंग से,

चलो, भूख पर
उलीच दें
रोटी की ख़ुशबू,

चलो, हताशाओं को
सराबोर करें
उम्मीदों के गाढ़े रंग से,

चलो फ़िरकापरस्ती को दबोचकर
शांति के रंग में डुबो ही दें

चलो, विरह के गालों पर मलें
मिलन का रंग सुनहरी
इस होली...