भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उत्तरजीवी / तादेयुश रोज़ेविच

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:19, 31 जनवरी 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तादेयुश रोज़ेविच |अनुवादक=अशोक क...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं चौबीस का हूँ
वध के लिए ले जाया गया मुझे
मैं बच गया
.

खोखले विलोम हैं नीचे लिखे शब्द :
मनुष्य और हिंस्त्र पशु
प्रेम और घृणा
दोस्त और दुश्मन
अन्धेरा और उजाला.

मनुष्य और हिंस्त्र पशु की हत्या का तरीका एक ही है
मैंने देखा है इसे:
ट्रक में भरे हुए मनुष्यों की देह के टुकड़े
जिन्हें बचाया नहीं जा सकता

विचार महज़ शब्द हैं:
नैतिक और अपराधी
सच और झूठ
ख़ूबसूरती और बदसूरती
साहस और कायरता

नैतिकता और अपराध का वज़न एक-सा ही है
मैंने देखा है इसे:
एक आदमी में जो दोनों ही था
अपराधी और पुण्यात्मा भी.

मैं एक शिक्षक और एक विशारद ढूँढ़ता हूँ
जो मेरे देखने और सुनने की ताक़त फिर से ला सके
जो फिर से नाम दे सके वस्तुओं और विचारों को
जो उजाले को अलग कर सके अन्धेरे से

मैं चौबीस का हूँ
वध के लिए ले जाया गया मुझे
मैं बच गया